मृत लोकतंत्र (मेरी कविताएँ )
by Saket Mishra on Tuesday, March 1, 2011 at 12:09am
मृत लोकतंत्र
लोकतंत्र को भ्रष्ट बनाने निकली है सरकार,
हे भारत माता ये तेरी कैसी जय-जयकार ?
महगाई ने तन को तोडा , जनमानस के मन को तोडा ,
जीवित रहना मुश्किल हो गया , जीने के रस्ते को मोड़ा ,
लंगड़े हुए कृषक व्यापारी , व्यर्थ लगे खेती -व्यापार!
हे भारत माता ये तेरी कैसी जय-जयकार ?
जनता का ये कैसा जनमत , जनमत से सब कैसे सहमत ,
बस सोये न कोई भूखा हे ! ईश्वर अब तेरी रहमत ,
बच जाते सब भ्रष्टाचारी , बढता जा रहा भ्रष्टाचार,
हे भारत माता ये तेरी कैसी जय-जयकार ?
शर्म नहीं आती है इनको , इनका एक ठिकाना है ,
तिरंगे का अपमान सही बस इनको वोट ही पाना है ,
लाल -चौक पर आतंकियों का सपना करते ये साकार ,
हे भारत माता ये तेरी कैसी जय-जयकार ?
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